देहरादून। बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को उत्तराखंड के अधिकांश बड़े समाचार पत्रों ने अपेक्षित महत्व नहीं दिया। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस राज्य सरकार की भूमिका और जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन इसके बावजूद मीडिया कवरेज को लेकर असमानता देखने को मिली।
प्रदेश के प्रमुख अखबारों में केवल अमर उजाला ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अखबार ने सरकार पर विपक्ष के कड़े हमले को पहले पन्ने पर स्थान देते हुए इसे जनहित से जुड़ा अहम विषय माना। इसके विपरीत, हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण जैसे बड़े और प्रभावशाली समाचार पत्रों ने इस खबर को फ्रंट पेज पर जगह देना उचित नहीं समझा।
हिन्दुस्तान में यह समाचार पेज संख्या 7 पर प्रकाशित किया गया, जबकि दैनिक जागरण में इसे पेज 9 पर सीमित स्थान मिला। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इतने संवेदनशील और चर्चित मामले पर विपक्ष की प्रतिक्रिया को जानबूझकर हाशिये पर रखा गया।
इतना ही नहीं, दैनिक जागरण ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर एक विशेष लेख भी प्रकाशित किया, जिसमें इसे कांग्रेस की “आनन-फानन” में की गई राजनीतिक कवायद के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस लेख में कांग्रेस की मंशा और समय-चयन पर सवाल उठाए गए, जबकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मूल मुद्दों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया।
मीडिया की यह भूमिका कई सवालों को जन्म देती है। एक ओर जहां अंकिता हत्याकांड को लेकर जनता में आक्रोश और संवेदनशीलता बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की आवाज को प्रमुख मंच न मिलना निष्पक्ष पत्रकारिता पर बहस को हवा देता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि मीडिया जनहित के मुद्दों पर संतुलित और समान दृष्टिकोण अपनाए।

